विरासत से विकास तक :— मनीष पटेल और असीम गोयल जी के बीच विकसित भारत लेगेसी समिट 2025 पर गहन चर्चा
- Manish Patel

- Oct 31
- 4 min read

भारत के प्राचीन मूल्यों से प्रेरित, आधुनिक भारत के निर्माण की नई सोच
भूमिका: एक नई चेतना की यात्रा
भारत का विकास केवल अर्थव्यवस्था की संख्याओं में नहीं मापा जा सकता। यह उस जीवंत परंपरा, सामूहिक चेतना और नैतिक उत्तरदायित्व की निरंतर यात्रा है जिसने भारत को सदियों से स्थिर रखा है।
इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए, भारत इकोनॉमिक फोरम (Bharat Economic Forum) के संस्थापक मनीष पटेल और हरियाणा के वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री श्री असीम गोयल जी के बीच एक अत्यंत विचारशील और संवेदनशील चर्चा सम्पन्न हुई।
इस चर्चा का उद्देश्य था — “विकसित भारत लेगेसी समिट 2025” के लिए एक संचालन समिति (Steering Committee) का गठन करना, जो न केवल आयोजन की दिशा तय करेगी, बल्कि विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को सार्थक कदमों में रूपांतरित करने का मार्गदर्शन भी करेगी।
संवाद की शुरुआत — विरासत और दृष्टि के बीच सेतु
मनीष पटेल ने अपने विचार साझा करते हुए कहा —
“असीम जी, जब हम ‘विकसित भारत’ की बात करते हैं, तो यह केवल तकनीकी या आर्थिक परिकल्पना नहीं है। यह उस आत्मा का पुनर्संवाद है जिसने हमें ‘भारत’ बनाया। हमारे पूर्वजों ने जो विरासत हमें दी — वह केवल भूतकाल नहीं, बल्कि भविष्य का आधार है। हमें उसे आधुनिक भारत की जरूरतों के अनुरूप जोड़ना है।”
असीम गोयल जी ने सहमति जताते हुए कहा —
“मनीष जी, यह सही है कि भारत का विकास बाहरी प्रतिस्पर्धा से नहीं, बल्कि भीतर की चेतना से होगा। आज आवश्यकता है कि हम उस ‘संवेदनशील विकास मॉडल’ की रचना करें जिसमें नीति, पूंजी और मानवीय मूल्यों का संतुलन हो। विकसित भारत का अर्थ तभी सार्थक होगा जब हर व्यक्ति स्वयं को उस यात्रा का सहभागी महसूस करे।”
संचालन समिति की दिशा और उद्देश्य
मनीष पटेल ने बताया कि विकसित भारत लेगेसी समिट 2025 केवल एक सम्मेलन नहीं, बल्कि एक सतत “विचार और क्रियान्वयन का मंच” होगा।
“हम ऐसी समिति बनाना चाहते हैं जो नीति निर्माण से लेकर सामाजिक प्रभाव तक, हर स्तर पर समन्वय स्थापित करे। इस समिति में नीति निर्माता, उद्योग प्रमुख, शिक्षाविद, मीडिया प्रतिनिधि और सामाजिक संस्थाएँ — सभी का सम्मिलन होगा। यह टीम देश के हर राज्य से प्रेरक उदाहरण एकत्र करेगी और उन्हें एक साझा राष्ट्रीय दिशा से जोड़ेगी।”
इस पर असीम गोयल जी ने कहा —
“यह विचार अत्यंत संतुलित है। समिति का गठन तभी सार्थक होगा जब उसमें विविधता और अनुभव का संगम हो। हरियाणा जैसे राज्यों में हम देख रहे हैं कि कई स्थानीय उद्यमी, किसान, महिला समूह और युवाओं ने अपने स्तर पर परिवर्तन की शुरुआत की है। इन्हें राष्ट्रीय मंच से जोड़ना ही वास्तविक ‘लेगेसी बिल्डिंग’ है।”
समिति की संभावित संरचना पर सहमति
दोनों ने गहन चर्चा के बाद संचालन समिति की रूपरेखा पर एकमत होकर यह तय किया कि इसे तीन प्रमुख आधारों पर निर्मित किया जाएगा —
विचार नेतृत्व (Thought Leadership): देश के प्रमुख शिक्षाविद, नीति विशेषज्ञ, दार्शनिक विचारक और सांस्कृतिक विश्लेषक जो भारत की आत्मा को आधुनिक नीति में रूपांतरित करने में सक्षम हों।
औद्योगिक सहयोग (Industrial Synergy): देश के अग्रणी उद्योगपति, CSR प्रमुख और निवेशक जो सामाजिक पूंजी को आर्थिक गति देने में सहयोग करें — ताकि विकास केवल मुनाफ़े तक सीमित न रहकर समाज तक पहुँचे।
सामाजिक परिवर्तन (Social Transformation): महिला उद्यमी, युवा नवप्रवर्तनकर्ता और श्रमिक टोली के प्रतिनिधि, जो भारत की जड़ों से परिवर्तन का बीजारोपण कर रहे हैं।
‘सेवा से संवेदन तक’ — भारत की विकासगाथा का मूल मंत्र
वार्ता के दौरान, दोनों ने एक साझा दृष्टिकोण पर बल दिया — कि भारत का भविष्य केवल आर्थिक पूंजी में नहीं, बल्कि मानवीय पूंजी में निहित है।
असीम गोयल जी ने कहा —
“भारत की आत्मा सेवा में बसती है। हमारे समाज की सबसे बड़ी ताकत हमारी करुणा है। जब नीतियाँ करुणा के साथ बनती हैं, तब वे स्थायी होती हैं। विकसित भारत की यात्रा भी इसी संवेदना पर टिकी है।”
मनीष पटेल ने जोड़ते हुए कहा —
“हमारा उद्देश्य किसी तेज़ बदलाव का दावा करना नहीं, बल्कि एक धीमी, परिपक्व और स्थायी प्रगति की दिशा में चलना है। यह समिट उन विचारों का संगम होगा जो नीतियों को इंसानों से जोड़ें, और इंसानों को अपनी विरासत से।”
संचालन समिति की दिशा — समन्वय और संवाद का केंद्र
इस चर्चा के दौरान यह भी सहमति बनी कि समिति का कार्य केवल आयोजन तक सीमित नहीं रहेगा। यह समिति निम्नलिखित कार्यों की दिशा में काम करेगी:
हर राज्य में State Legacy Circles का गठन, ताकि स्थानीय प्रयास राष्ट्रीय दृष्टि से जुड़ें।
नारी शक्ति संवाद और श्रमिक टोली संवाद जैसे विषयों के माध्यम से विकास को सामाजिक न्याय के साथ जोड़ा जा सके।
युवाओं, महिला उद्यमियों और सामाजिक संस्थानों को Narrative Engineering के माध्यम से अपने विचारों को नीति संवाद में शामिल करने का अवसर मिले।
अंतिम विचार — भारत का विकास एक सामूहिक यात्रा है
चर्चा के समापन पर, असीम गोयल जी ने कहा —
“भारत की प्रगति किसी एक क्षेत्र या वर्ग का प्रयास नहीं है। यह एक सामूहिक यात्रा है, जिसमें हर व्यक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है। इस समिति के गठन से यह सुनिश्चित होगा कि संवाद से समाधान तक की प्रक्रिया समरस और जिम्मेदार हो।”
इस पर मनीष पटेल ने मुस्कुराते हुए कहा —
“हमारा उद्देश्य केवल कार्यक्रमों का आयोजन नहीं, बल्कि विश्वास का निर्माण है। जब नीति और भावना साथ चलेंगी, तभी भारत वास्तव में विकसित होगा — और वह विकास सभी के लिए होगा, किसी के विरुद्ध नहीं।”
निष्कर्ष: एक संवेदनशील दिशा की शुरुआत
इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि विकसित भारत लेगेसी समिट 2025 केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि एक विचारों का संयमित विकास पथ है। मनीष पटेल और असीम गोयल जी की इस संवादपूर्ण चर्चा ने भारत की उस दिशा को आकार दिया जहाँ विकास, विरासत और संवेदना — तीनों मिलकर विकसित भारत 2047 के वास्तविक स्वरूप को गढ़ेंगे।




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